Friday, May 7, 2010

एक ही गौत्र में विवाह...?

एक ही गौत्र में विवाह...?


आजकल एक ही गौत्र में विवाह के कई मामले सामने आ रहे हैं। यह एक सामाजिक और धार्मिक बहस का मुद्दा भी बन गया है। कुछ लोग इसके पक्ष में है वहीं एक वर्ग सगौत्र विवाह का गलत मान रहा है।

हमारी धार्मिक मान्यता के अनुसार एक ही गौत्र या एक ही कुल में विवाह करना पूर्णतया प्रतिबंधित किया गया है। यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया क्योंकि एक ही गौत्र या कुल में विवाह होने पर दंपत्ति की संतान अनुवांशिक दोष के साथ उत्पन्न होती है। ऐसे दंपत्तियों की संतान में एक सी विचारधारा, पसंद, व्यवहार आदि में कोई नयापन नहीं होता। ऐसे बच्चों में रचनात्मकता का अभाव होता है। विज्ञान द्वारा भी इस संबंध में यही बात कही गई है कि सगौत्र शादी करने पर अधिकांश ऐसे दंपत्ति की संतानों में अनुवांशिक दोष अर्थात् मानसिक विकलांगता, अपंगता, गंभीर रोग आदि जन्मजात ही पाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से सगौत्र विवाह पर प्रतिबंध लगाया था

MAKE IT TRUE


What you tell yourself most frequently, you will believe.

What you truly believe, you will incorporate into every

Aspect of your life.

It doesn't matter if it is objectively true or not. What you

Continue to tell yourself, day after day, becomes true for

You and has a profound effect on your life.

Great power lives in the fact that you can choose what to

Tell yourself, again and again, in the thousands of moments

That make up each day. With focus and intention, you can

Upgrade your beliefs about yourself.

You can upgrade your beliefs about what is possible for you.

And by so doing, you will in fact expand your access to the

Very best of your possibilities.

You'll go precisely as far as you believe you will go. So

there's every reason to believe the very best.

With what you tell yourself, choose to sell yourself, again

And again, on your best possibilities. For when you

Consistently believe something to be true in your life, you

Will indeed make it true.
 ~Kalpesh Dave~

Health Tips क्या, कब और कैसे खाएँ



हमारे शरीर को पोषण देने का एक ही माध्यम है भोजन। यदि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो भोजन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए। इनमें से कुछ बातें तो आप जानते ही होंगे लेकिन फिर भी अच्छी बातें दोहराने में कोई हर्ज नहीं है, तो पेश है कुछ स्पेशल टिप्स खास आपके लिए -

* प्रातः बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए।

* भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए।

* भोजन को कभी भी ठूँस-ठूँसकर नहीं खाना चाहिए। इससे कई रोग हो सकते हैं। भोजन तीन-चौथाई पेट ही करना चाहिए।

* भूख लगने पर पानी और प्यास लगने पर भोजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है। जैसे खाने की आवश्यकता महसूस होने पर उसे पानी पीकर समाप्त करने की कोशिश या प्यास लगने पर कुछ भी खाकर प्यास को टाल देना।

* भोजन के बीच में प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीना चाहिए। भोजन के तुरंत पहले या अंत में तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए।

* हजार काम छोड़कर नियमित समय पर भोजन करें।

* बासी, ठंडा, कच्चा अथवा जला हुआ और दोबारा गर्म किया हुआ भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी नहीं होता।

* भोजन पच जाने पर ही दूसरी बार भोजन करना चाहिए। प्रातः भोजन के बाद शाम को यदि अजीर्ण मालूम हो तो कुछ नर्म भोजन लिया जा सकता है। परंतु रात्रि को भोजन के बाद प्रातः अजीर्ण हो तो बिल्कुल भोजन नहीं करना चाहिए। 




* भोजन के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए।

* सर्दी के दिनों में (जाड़े के मौसम में) भोजन से पूर्व थोड़ा सा अदरक व सेंधा नमक खाना चाहिए, जिससे पाचन शक्ति बढ़ जाती है।

* भोजन सामग्री में कड़े पदार्थ पहले, नरम पदार्थ बीच में और पतले पदार्थ अंत में खाना चाहिए। 





* भोजन करते समय प्रारंभ में मीठे, बीच में नमकीन और अंत में कसैले पदार्थों को खाना चाहिए।

* भोजन करने से पहले केला और ककड़ी नहीं खाना चाहिए।

* भोजन में दूध, दही, छाछ का प्रयोग दीर्घजीवी बनाता है।

* भोजन करने के बाद हमेशा याद रखें- न क्रोध करें, न तुरंत व्यायाम करें। इससे स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है।

* रात्रि के भोजन के पश्चात दूध पीना हितकर है

जल बिना नहीं चलेगा जीवन - Without water there is no life




दैनिक भास्कर समूह ने जब मुझसे पूछा कि क्या आप हमारे जल सत्याग्रह अभियान से जुड़ना चाहेंगे तो मुझे फैसला करने में एक पल भी नहीं लगा क्योंकि आज हम पानी के संकट से जूझ रहे हैं और कल महासंकट से जूझेंगे।





कहीं भी बसने से पहले आदमी पानी का इंतजाम करता है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण, बदलती लाइफ स्टाइल व पानी के प्रति हमारी लापरवाही के कारण पानी के स्रोत लगातार कम होते जा रहे हैं। नदियां नालों में बदली हैं, झरने सूख गए हैं, बावड़ियां-पोखर अतिक्रमण के दायरे में आ गए हैं।

यहां तक कि औसत बारिश (१क्५ सेमी) भी कम हो गई है। चेरापूंजी में जहां कुछ साल पहले सबसे ज्यादा बारिश होती थी, आज जंगल काटे जाने के कारण यह इलाका बूंद-बूंद के लिए तरस रहा है।





ऐसे में पानी की एक-एक बूंद आपके लिए जरूरी है। पानी की फिजूलखर्ची कर हम अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे हैं, अपने बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहे हैं। बोतलबंद पानी के व्यापार का दौर आ चुका है। शायद वह दिन दूर नहीं, जब पानी राशन की दुकान में बिकेगा। पानी की फिजूलखर्ची अब भविष्य का संकट नहीं है।

आफत आने वाली नहीं, आ चुकी है। पानी की बर्बादी रोकना एक बड़ी चुनौती है। या तो आप इस चुनौती का सामना अभी से कीजिए या महासंकट के लिए तैयार हो जाइए। यह एक मौका भी है आपके लिए, अपनी आने वाली पीढ़ियों के वास्ते मिसाल खड़ी करने का।
 


अपनी आदतों में छोटे-छोटे बदलावों से आप 15 फीसदी तक पानी बचा सकते हैं। नहाने, हाथ व कपड़े धोने, फर्श व गाड़ी साफ करने, बगीचे में पानी देने जैसी मामूली आदतों में बदलाव से 15 फीसदी पानी बचाने के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है। और, यह आपको ही बचाना है। इस जल प्रबंधन में सरकार और शासन की कोई भूमिका नहीं है।

19वीं सदी के अंत तक जल प्रबंधन और संरक्षण समाज की साझा जिम्मेदारी था, शासकों की नहीं। लोग पानी सहेजते ही नहीं, बचाते भी थे। जल के कीमती खजाने की रक्षा का काम एक बार फिर आपको अपने हाथ में लेना होगा।






अगर आप यह संकल्प ले लें कि मैं आज से हर रोज अपनी एक आदत बदलूंगा, जिससे 15 फीसदी पानी बचा सकूं तो मेरा मानना है कि आप अपने परिवार व बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे। यह प्रेरणा समाज में भी जोर पकड़ेगी। लेकिन याद रखिए, यह शुरुआत आपसे ही होगी। यह चुनौती आपको ही स्वीकार करनी होगी। यह मौका आप नहीं गंवा सकते