चैत्री नवरात्री व गुप्त नवरात्री साधना
अगर आपको नवराति पूजा पूरी विधि विधान से करनी हो तो नवराति उपासना मे पड लो.
और अगर आपको छोटी पूजा करनी हो तो निचे लिखी हुई साधना करो.
माताजी की ये साधना आप पुरे दिन मे कभी भी करसकते है.
- प्रातहकाल(Morning 4am to 11am) मे पूजा करे तो लक्ष्मी स्थिर रहेगी और धन की प्राप्ति होगी, दारिद्रय दूर होगा.
- संध्यांकाल(Evening 5pm to 8:30pm) मे पूजा करे तो लक्ष्मी स्थिर रहेगी और धन की प्राप्ति होगी, दारिद्रय दूर होगा, शत्रु का नास होगा, रुका हुआ धन मिलेगा, आरोग्य सुधरेगा.पितृ को शांति मिले गी, वहा भूत प्रेत, घर का दोष, आदि से मुक्त होंगे.
- रात्रिकाल(Night 11:30pm to 4am) मे पूजा करे तो घर या व्यक्ति के उप्पर किया कराया दोष दूर होगा, भूत प्रेत, जादू टोना टोटका, मुट मरण, वशीकरण, संबन, डाकिनी शाकिनी, पिचले जनम का दोष व आदि सारे दोष और बालाओं से मुक्त होंगे.
पूजा की सामग्री :-
- अबीर, गुलाल, कुमकुम, चन्दन.
- आंबे के लकडे का पाट (Mango Tree Wooden Table) Or (अनिय कोई लकड़े का पाट चलेगा)
- आंबे के पते का हार, हार माला, फुल, गजरा (वेणी), गुलाब (Rose)
- १ गिला नारियल (Coconut), १ सुखा नारियल (गोरा)
- रोली, मोली (नाडाछड़ी), घेहू (Wheat)
- कपूर, गुंगल धुप साथ मे कुछ काले कॉलसे(Coal), अगरबती, घी का दीपक.
- फल (दाडम), मिठाई, पेडा या हलवा माता को निवेद चाडावा, या माता की पसंदी सुखडी.
- पंचपात्र (Copper Plate), चमच(Copper Spoon), वाटि (Copper small Bowl). (अगर नहीं हो तो सादे बर्तन भी चलेंगे)
- गंगाजल (पानी), अत्तर (Fragrance Perfume Bottle)
- लाल बलाउस पीस, लाल चुन्दडी, माताजी के श्रींगार का पेकेट ले.
- माताजी की प्रतिमा (मूर्ति या छवि)
- ताम्बे का कलश (कलश जल या गंगाजल से भरा हुआ)
- दाब आसन, लाल आसन, लाल धोती या केसरी (अगर स्त्री है तो सीर पर चुन्दडी रखे)
Vidhi (विधि) / Method of performing पूजा.
विधि :- पूजा प्रारंभ करने से पेले ना धोकर सुद्धा हो जाये, फिर धोती पहन ले, अगर स्त्री है तो अपने माथे (head) पर लाल चुन्दडी रखे, अब अम्बा का पाट लो (कोई भी लकड़े का पाट चलेगा अगर अम्बा का पाट नहीं है तो), उस पर लाल कपडा या बलाउस पीस बिछाओ, फिर घेहू (Wheat) से माताजी के स्थापन पर ९ पतियों का कमल दल बनाये और फिर उसपर माताजी की मूर्ति या छवि रखो, माताजी को चुन्दडी चडावे, हार, फुल, वेणी (गजरा), शंगार चडावे. अपना आसन बिछाये पहले दाब का और उसके उप्पर लाल उन का आसन (लाल आसन या अनिय कोई भी आसन चलेगा), आसन पर बेठे. अपने सामने सभी सामग्री रखे, पंचपात्र और गंगाजल ताम्बे के कलश मे भर कर रखे और माताजी का ध्यान करते हुए पूजा की विधि प्रारंभ दीपक को प्रज्वलित करके करे.
नोट:- गूगल का धुप सुबह, संध्या वहा रात्रि को आवसीय करे. अगर ये तीनी समय ना कर सके तो संध्या को आवसीय करे.
।। पवित्र करन ।।
पूर्वाभिमुख होकर बेठे, सब से पेले हम "पवित्र करन" इत्यादि मन्त्र से खुद को पवित्र करेंगे. बाया(Left) हाथ में जल ले और दाया(Right) हाथ से इस मंत्र को पड़ते पड़ते अपने सिर तथा शरीर पर छिड़क लें(Sprinkle the water on us).
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा, सर्वावस्थांगतोऽपि वा ।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।
।। आचमनम ।।
वाणी, मन व अंतःकरण की शुद्धि के लिए चम्मच से साथ बार जल का आचमन करें । हर मंत्र के साथ एक आचमन किया जाए ।
ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा ।
ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा ।
ॐ सत्यं यशः श्रीर्मयि श्रीः श्रयतां स्वाहा ।
ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।
ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥
ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥
।। शिखावन्दनम ।।
शिखा स्पर्श एवं वंदन - शिखा(Head) के स्थान को स्पर्श करते हुए भावना करें कि देवी के इस प्रतीक के माध्यम से सदा सद्विचार ही यहाँ स्थापित रहेंगे । निम्न मंत्र का उच्चारण करें ।
ॐ चिद्रूपिणि महामाये, दिव्यतेजः समन्विते ।
तिष्ठ देवि शिखामध्ये, तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥
।। प्राणायाम: ।।
श्वास को धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के क्रम में आता है । श्वास खींचने के साथ भावना करें कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करें कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं । प्राणायाम निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ किया जाए ।
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् ।
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ ।
।। न्यास: ।।
न्यास - इसका प्रयोजन है-शरीर के सभी महत्त्वपूर्ण अंगों में पवित्रता का समावेश तथा अंतः की चेतना को जागृत करना ताकि देव-पूजन जैसा श्रेष्ठ कृत्य किया जा सके । बाएँ (Left) हाथ की हथेली में जल लेकर दाहिने (Right) हाथ की पाँचों उँगलियों को उनमें भिगोकर निचे बताए गए स्थान पर मंत्रोच्चार के साथ स्पर्श करें ।
ॐ वाङ् मे आस्येऽस्तु । (मुख को)
ॐ नसोर्मे प्राणोऽस्तु । (नासिका के दोनों छिद्रों को)
ॐ अक्ष्णोर्मे चक्षुरस्तु । (दोनों नेत्रों को)
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु । (दोनों कानों को)
ॐ बाह्वोर्मे बलमस्तु । (दोनों भुजाओं को)
ॐ ऊर्वोमे ओजोऽस्तु । (दोनों जंघाओं को)
ॐ अरिष्टानि मेऽङ्गानि, तनूस्तन्वा मे सह सन्तु । (समस्त शरीर पर)
आत्मशोधन की ब्रह्म संध्या के उपरोक्त पाँचों कृत्यों का भाव यह है कि साधक में पवित्रता एवं प्रखरता की अभिवृद्धि हो तथा मलिनता-अवांछनीयता की निवृत्ति हो । पवित्र-प्रखर व्यक्ति ही भगवान् के दरबार में प्रवेश के अधिकारी होते हैं ।
।। देवी मे प्राण लाये ।।
सामने राखी देवी की मूर्ति या छवि, के सामने आपना दाया (Right) रखे और बाया (Left) हाथ रदय (Heart) पर रखे और निचे लिखे हुए मंत्रोक्चार से प्राण आ रहे है इस भावना से पड़े.
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् ।
ॐ भूः - देवी माता के मूलाधार चकरा जागृत हो रहा है ।
ॐ भुवः - देवी माता के स्वधिसटान चकरा जागृत हो रहा है ।
ॐ स्वः - देवी माता के मणिपुर चकरा जागृत हो रहा है ।
ॐ महः - देवी माता के रदय चकरा जागृत हो रहा है ।
ॐ जनः - देवी माता के विशुधि चकरा जागृत हो रहा है ।
ॐ तपः - देवी माता के आग्न्या चकरा जागृत हो रहा है ।
ॐ सत्यम् - देवी माता के शहसत्रा चकरा जागृत हो रहा है ।
।। संकल्प ।।
दाहिने(Right) हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर निम्नांकित रूप से संकल्प करें.
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विन्ष्णुराज्ञ्या प्रवर्तमानश्य. हे देवी जगदम्बा मे भारत के ____________ राज्य(Name of your State) के __________ वासरे( Name of your city) ______________ गामे(Name of your town) रहता / रहती हु, आज ___________ मासे(Name of all मासे मतलब [त्री, कुर्तिका, भाद्रपद]), के ____________ पक्षे (कृष्ण / शुक्ल) ______________ तिथि (एकं, बिज, एकादशी etc..) ____________ वार (सोमवार, सनिवार etc..) को मे ____________ नामा अहम् (Name of your) ___________ गोत्रौत्पन (Your Gotra Name eg. Kashyab, Haritatsat or Gautam), मे यह संकल्प करता / करती हु __________________________ (आप अपनी इछाये देवी के समक्ष कहो)(Tell your wishes, the purpose for which you are taking this sankalp) लेता / लेती हु. और फिर हाथ मे लिया हुआ जल और फुल देवी के समक्ष अर्पण करो. इस तरह से आपका संकल्प पूरा हुआ और ये सिर्फ पहेले दिन ही (First day) लेना है.
या फिर ये संकल्प भी कर सकते है
।। रदय संकल्प ।।
मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता जगदम्बा (Durga) की कृपा प्राप्त करने के लिये चैत्री शुक्ल की एकम के दिन माँ दुर्गा पूजन कर रहा/रही हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।
यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री जगदम्बा माँ (Durga Maa) के समीप छोड दें।
।। आगे की विधि ।।
संकल्प लेने के बाद देवी का ध्यान करे और फिर आपको जो कोई देवी का पाठ(जेसे की दुर्गा सप्तसती, दुर्गा चालीसा, गायत्री चालीसा, श्री शुक्तं, इत्यादि...) या फिर जाप रुपे कोई भी देवी का मंत्र(ॐ दूं दुर्गाये नमः, ॐ ऐं ह्रीं क्लिं चामुण्डाये विच्चे, या गायत्री मंत्र) कर सकते है. हर एक पाठ या एक जाप माला समाप्त होने के बाद समष्क रखे हुए कलश मे फुक मारे. जब आपके पाठ या जाप ७ बार पूर्ण होजाए उसके पश्चात वह पानी से भरा हुआ कलश घर मे रखे हुए पानी के मटके मे ड़ाल दो, और सभी घर के सदसिय उस पानी को पिए, अगर आपको उस जल से अपने घर को भी पवित्र और देवी से रक्षा कवच घर मे करना चाहते है तो अंत मे थोडा जल बचाकर रखे और घर के सभी कोने, दीवारों और दुवार के उमरा पर वो अभिमंत्रित किया हुआ जल छिडके.(Sprinkle the water every where in your home walls & Door's).उसके बाद माताजी की आरती करे और अंत मे गुंगल धुप करे और पुरे घर को वहा घर के सभी सदस्या को वो धुप दे. यह क्रिया आपको १० दिन तक लगातार करनी होंगी.
नोट:-हर रोज जब आप पाठ या जाप करने को बेठे तो देवी का ध्यान करे और आपने आपको पवित्र कारन करके पूजा प्रारंभ करे.
।। जप या पाठ करते वक्त क्या ध्यानमे रखे ।।
पाठ या जाप करते समय होठ हिलते रहें, किन्तु आवाज इतनी मंद हो कि पास बैठे व्यक्ति भी सुन न सकें । पाठ या जाप की प्रक्रिया कषाय-कल्मषों-कुसंस्कारों को धोने के लिए की जाती है ।
अगर आप पाठ या जाप मे से कोई बी एक क्रिया कर रहे हो, तो वह आपको हर रोज ७ बार पाठ पड़ना(Reading) या जाप की ७ मालाए करनी होंगी. इस तरह से आपको लगातार नवरात्री के १० दिन तक करना होगा. ८ अष्टमी के दिन माता को निवेद चडावे(सुखडी).
अगर आपकी इछा है तो कन्या को भोजन करानेकी, तो ८ छोटी कन्या (८ से ज्यादा होगी तो चलेगा मगर कम नहीं होनी चाहिए) और २ लड़के ( all below the age of 10) years) को बुलावे और उनको भोजन करावे, आरती उत्तारे, और उन्हें कोई तोफे(Gift) या दक्षिणा दे.
१० दिन को आपके पाठ या जाप समाप्त होने के बाद आप संकल्प छोड़ेंगे.
।। संकल्प छोड़ने की विधि ।।
संकल्प छोड़ने के लिए दाया हाथ (Right Hand) मे चावल ले. फिर अपने भावना अनुसार देवी के मूर्ति के समक्ष क्षमा याचना करे की अगर मेरे से कोई भूल या कोई टूटी रहगयी हो तो मुझे नादान , नासमाज बालक मानकर क्षमा करे और मेरे परिवार पर सदेव आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे. यह बोल कर अक्षत (चावल / rice) माँ के छवि या मूर्ति पर अर्पण करे.
माँ से कहे के "हे देवी मई माँ आप जहा से आये थे वहा वापस लोट जाओ"
नोट:-अगर आपको को देवी के मूर्ति मे से प्राण को वापसी नहीं भेजना हो तो देवी की मूर्ति या छवि को लेकर मंदिर मे रखे और फिर अक्षत(Rice) को पाठ पर छोड़ दे.
मंत्र:- गछ गछ या देवी तू गच्यान्ति..
११ वे दिन सुबह को मूर्ति या छवि को मंदिर मे स्थापित करे.
(उपासक)
लिखित,
कलपेश दावे.