Wednesday, November 6, 2024

The Shubh & Labh symbol

 



The Shubh & Labh symbol


Symbol Creation:

1. Choose an auspicious time (check Hora or Chogadiya).

2. Select a suitable ink (red, yellow, or green).

3. Write "शुभ" (Shubh) on the right side.

4. Write "लाभ" (Labh) on the left side.


Placement Options:

1. Main door of your house/office.

2. Entrance of your workspace.

3. Account books/ledgers.

4. Cash box/safe.

5. Puja room/altar.


Benefits:

1. Attracts prosperity and abundance.

2. Enhances success and good fortune.

3. Protects from negative energies.

4. Brings positivity and happiness.


Auspicious Times:

1. Hora: Check the Hora chart for auspicious times.

2. Chogadiya: Choose an auspicious Chogadiya period.


Additional Tips:

1. Use a positive mindset while creating the symbol.

2. Clean and purify the area before writing.

3. Avoid writing during Rahu Kaal or inauspicious periods.


Symbol Meaning:

"शुभ" (Shubh) represents auspiciousness and good fortune.

"लाभ" (Labh) represents gain, profit, and prosperity.


By creating this symbol, you invite positivity, prosperity, and success into your life.

Labh Pacham: Unlocking Prosperity and Success

 



Labh Pacham: Unlocking Prosperity and Success


By Kalpesh Dave, Life with Colours (www.lifewithcolours.in)


Labh Pacham, the auspicious day of prosperity and growth, is here! This sacred day falls on the 11th day of the bright half of the Hindu month of Kartik. It's a time to attract abundance, wealth, and success into our lives.

Remedies for Home and Office:


For Wealth and Prosperity:

1. Light a lamp with ghee or oil in the northeast corner of your home/office.

2. Place a small pot of water with a silver or gold or normal coin and a few grains of rice near the lamp.

3. Worship Lord Ganesha and Goddess Lakshmi with flowers and offerings.


For Career Success:


1. Keep a small plant, like Tulsi or basil, in your office.

2. Write "Om Shri Mahalakshmiyei Namaha" on a piece of paper and place it in your wallet/purse/Tijori (safe/locker)

3. Perform a small puja to Lord Kartikeya, the god of success.


For Good Health:

1. Offer water and prayers to the Sun God.

2. Light a camphor lamp in the evening.

3. Chant "Om Sri Dhanvantri Namaha" for health and wellness.


Spiritual Remedies:

1. Meditate for 15 minutes, focusing on your breath.

2. Recite the Mahalakshmi Mantra: "Om Shri Mahalakshmiyei Namaha".

3. Perform a small donation to a needy person.


Diwali Special Remedies:

1. Clean and decorate your home with divas and flowers.

2. Worship Lord Ganesha and Goddess Lakshmi during the Diwali puja.

3. Burn crackers to ward off negative energies.


Draw positive symbols at house main door (Umbatha/ Chowki/ or on Door frame Base) you can also draw all positive on books/ objects/ Temple Door/ vehicles/ and office account books. 


Draw powerful symbols on all above:- 

1. शुभ - with Kumkum 

2. ⁠लाभ - with Kumkum

3. ⁠अमृत - with Haldi 

4. ⁠feet's of Maha Laxmi with Kumkum 

5. ⁠kalash - sticker 

6. ⁠Swastik with Kumkum 

7. ⁠3 tilak with Kumkum 

8. ⁠Trishul with Kumkum 

9. ⁠om with Chandan. 

10. ⁠✡ star with Haldi 


Draw all above symbols wherever you want your space to be protected or shield by the divine grace of mother love. Feel the vibration is going into the symbol and you are gaining abundance of success, love, happiness, good health, good career, and good wealth through this symbol in your particular object which you are drawing the symbols. 


Have a happy Labh pacham.

Tuesday, October 29, 2024

Saturday, October 26, 2024

महा-लक्ष्मी मन्त्र

महा-लक्ष्मी मन्त्र

“राम-राम क्ता करे, चीनी मेरा नाम। सर्व-नगरी बस में करुँ, मोहूँ सारा गाँव।
राजा की बकरी करुँ, नगरी करुँ बिलाई। नीचा में ऊँचा करुँ, सिद्ध गोरखनाथ की दुहाई।।”

विधिः- जिस दिन गुरु-पुष्य योग हो, उस दिन से प्रतिदिन एकान्त में बैठ कर कमल-गट्टे की माला से उक्त मन्त्र को १०८ बार जपें। ४० दिनों में यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है, फिर नित्य ११ बार जप करते रहें।

दिवाली की पुजा एवं महालक्ष्मी की चमत्कारी साधना (Mahalaxmi Upasna, Diwali Puja)


दिवाली की पुजा एवं महालक्ष्मी की चमत्कारी साधना 
(Mahalaxmi Upasna) 




दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में घर या दुकान में की जाती है.
Diwali Laxmi Puja 2010 date is November 5th.  
लक्ष्मी पुजन प्रारंभ करने का समय इस दीपावली मे.(To perform Lakshmi Puja on दीपावली).
प्रदोष काल(Pradosh Kaal) और निशित काल(Nishit kaal) आचा समय है(are very auspicious timings). 
इस दिवाली 2010 मे प्रदोष काल(Pradosh kaal) Lakshmi Puja का समय 6.03 pm से 8.22 pm संध्याकाळ(evening) 5th November 2010 को है.  
निशित काल(Nishit kaal) Lakshmi Puja का समय 8.23 pm से 10.46 pm रात्रि(Night) 5th November 2010 को है.
महानिशिता काल(Mahanishita Kaal) Lakshmi Puja का समय – 11.29 pm on November 5th से 1.51 am November 6th 2010 तक का है.

पूजा की सामग्री :-
  1. अबीर, गुलाल, कुमकुम, चन्दन.
  2. आंबे के लकडे का पाट (Mango Tree Wooden Table) Or (अनिय कोई लकड़े का पाट चलेगा)
  3. आंबे के पते का हार(Door Haar),3 हार माला,250gm फुल, गजरा (वेणी), गुलाब (रोसे), कमल (Lotus), ध्रुवा.
  4. १ गिला नारियल (Coconut), १ सुखा नारियल (गोरा)
  5. रोली, मोली (नाडाछड़ी), चावल (अक्षत, Rice), चावल mix with kumkum.
  6. कपूर, गुंगल धुप साथ मे कुछ काले कॉलसे(Coal), अगरबती, 5 घी(ghee) व तेल(oil) के दीपक.
  7. 5 फल(5 types of fruits), मिठाई, पेडा या हलवा माता को निवेद चाडावा, या माता की पसंदी खीर.
  8. हल्दी(Turmeric Powder).
  9. बताशे, खांड के खिलोने.
  10. Panchamrit पंचाम्रत (Mixture of Milk, Curd, Honey, Sugar, Ghee)
  11. पंचपात्र (Copper Plate),  चमच(Copper Spoon), वाटि (Copper small Bowl). (अगर नहीं हो तो सादे बर्तन भी चलेंगे).
  12. थालियां (Plates / Trays of Stainless steel/plastic) for keeping the Pooja Material
  13. गंगाजल (पानी), अत्तर (Fragrance Perfume Bottle).
  14. संख (Conch).
  15. लाल बलाउस पीस और सफ़ेद कपडा, लाल चुन्दडी या साडी, माताजी के श्रींगार का पेकेट ले, गणेश के वस्त्र ले.
  16. लक्ष्मी व गणेशजी की प्रतिमा (मूर्ति या छवि ले)
  17. ताम्बे का कलश (कलश गंगाजल और पानी से भरा हुआ)
  18. दाब आसन के साथ उन आसन या लाल आसन, लाल या केसरी धोती(अगर स्त्री है तो सीर पर चुन्दडी रखे) 
  19. Gold and/or Silver coin embossed with picture of Goddess Lakshmi, new Currency notes (सोना या चांदी के सिक्के)
  20. Jeweleries - सोना व चांदी(Golden/silver articles) (if available)
  21. Cash Register/Accounts Books, Coins Bag, Pen, Ink Pot (Black, Blue or Red)
  22. जानवे जोड़(Pair of Holy thread)
  23. मिटी के छोटे/बड़े दिया, कापूस(cotton wicks/रुइ), Mustard oil(सरसों के तैल), माचिस(Match Box).




माता लक्ष्मी का प्रिय निवेद के लिये सामग्री (खीर) :-
सामग्री :- 
1 Tea Spoon मध(Honey), 
500gm ढूध(Milk), 
1 Tea Spoon हल्दी(Turmeric Powder), 

250gm चावल(Rice), 
1 केला(Banana), 
50gm पंचमेवा(Dry Fruits), 
केसर(डालना है तो आप सजावट के लिए ड़ाल सकते हो)

नोट :- ये निवेद खास करके दीपावली मे लक्ष्मी पुजन के दिन माता लक्ष्मी के सामने धराते है. वहा ये माताजी की प्रिय निवेद है. गणेशजी को लाडू या मिठाई चडावे.



Vidhi (विधि) / Method of performing पूजा.
विधि :- पूर्व या उत्तर मुख करके पुजा प्रारंभ करे, पूजा प्रारंभ करने से पेले ना धोकर सुद्धा हो जाये, फिर धोती पहन ले, अगर स्त्री है तो अपने माथे (head) पर लाल चुन्दडी रखे, अब अम्बा का पाट लो (कोई भी लकड़े का पाट चलेगा अगर अम्बा का पाट नहीं है तो), उस पर लाल कपडा या बलाउस पीस बिछाओ, लक्ष्मी और गणेशजी की मूर्ति या छवि रखो, लक्ष्मी और गणेशजी को वस्त्र चडावे, हार, फुल, वेणी (गजरा), संगार चडावे. अपना आसन बिछाये पहले दाब का और उसके उप्पर लाल उन का आसन (लाल आसन या अनिय कोई भी आसन चलेगा), आसन पर बेठे. अपने सामने सभी सामग्री रखे, पंचपात्र और गंगाजल, चावल, हल्दी, चांदी का सिका(Coin),५ आसुपाला के पते, श्रीफल, ताम्बे के कलश मे रखे और लक्ष्मी और गणेशजी का ध्यान करते हुए पूजा की विधि प्रारंभ घी और तेल के दीपक को प्रज्वलित करके करे.

नोट:- गूगल का धुप सुबह, संध्या वहा रात्रि को आवसीय करे. अगर ये तीनी समय ना कर सके तो संध्या को अवशिया करे.
 
।। पवित्र करन ।।

पूर्वाभिमुख होकर बेठे, सब से पेले हम "पवित्र करन" इत्यादि मन्त्र से खुद को पवित्र करेंगे. बाया(Left) हाथ में जल ले और दाया(Right) हाथ से इस मंत्र को पड़ते पड़ते अपने सिर तथा शरीर पर छिड़क लें(Sprinkle the water on us).


ॐ अपवित्रः पवित्रो वा, सर्वावस्थांगतोपि वा ।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।



।। आचमनम ।।
वाणी, मन व अंतःकरण की शुद्धि के लिए चम्मच से साथ बार जल का आचमन करें । हर मंत्र के साथ एक आचमन किया जाए । 
ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा । 
ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा । 
ॐ सत्यं यशः श्रीर्मयि श्रीः श्रयतां स्वाहा ।
ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।
ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥
ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥


।। शिखावन्दनम ।। 
शिखा स्पर्श एवं वंदन - शिखा(Head) के स्थान को स्पर्श करते हुए भावना करें कि देवी के इस प्रतीक के माध्यम से सदा सद्विचार ही यहाँ स्थापित रहेंगे । निम्न मंत्र का उच्चारण करें ।  
ॐ चिद्रूपिणि महामाये, दिव्यतेजः समन्विते । 
तिष्ठ देवि शिखामध्ये, तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥


।।  प्राणायाम: ।। 
श्वास को धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के क्रम में आता है । श्वास खींचने के साथ भावना करें कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करें कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं । प्राणायाम निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ किया जाए ।

ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम् ।
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ ।

 
।। न्यास: ।।
न्यास - इसका प्रयोजन है-शरीर के सभी महत्त्वपूर्ण अंगों में पवित्रता का समावेश तथा अंतः की चेतना को जागृत करना ताकि देव-पूजन जैसा श्रेष्ठ कृत्य किया जा सके । बाएँ (Left) हाथ की हथेली में जल लेकर दाहिने (Right) हाथ की पाँचों उँगलियों को उनमें भिगोकर  निचे बताए गए स्थान पर मंत्रोच्चार के साथ स्पर्श करें ।

ॐ वाङ् मे आस्येऽस्तु । (मुख को)
ॐ नसोर्मे प्राणोऽस्तु । (नासिका के दोनों छिद्रों को)
ॐ अक्ष्णोर्मे चक्षुरस्तु । (दोनों नेत्रों को)
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु । (दोनों कानों को)
ॐ बाह्वोर्मे बलमस्तु । (दोनों भुजाओं को)
ॐ ऊर्वोमे ओजोऽस्तु । (दोनों जंघाओं को)
ॐ अरिष्टानि मेऽङ्गानि, तनूस्तन्वा मे सह सन्तु । (समस्त शरीर पर)

आत्मशोधन की ब्रह्म संध्या के उपरोक्त पाँचों कृत्यों का भाव यह है कि साधक में पवित्रता एवं प्रखरता की अभिवृद्धि हो तथा मलिनता-अवांछनीयता की निवृत्ति हो । पवित्र-प्रखर व्यक्ति ही भगवान् के दरबार में प्रवेश के अधिकारी होते हैं ।

।। देवी महालक्ष्मी आव्हान ।।  
भावना करें कि साधक की प्रार्थना के अनुरूप माँ लक्ष्मी की शक्ति वहाँ अवतरित हो व स्थापित हो रही है ।
Take flowers or unbroken grains of rice in your hands. Meditate upon the goddess, saying:



या सा पदमा सनसथा विपुला काती ताती पदमा पत्रायत अक्सी
गम भीरा वर्तना भिस्ताना भरना मिटा सुभरा वस्त्रोत्तारिया
या लक्ष्मीर दिव्या रूपा इर्मानी गाना खा सितैह सना पिताहेमा कुम्भ एह 

सा नित्यं पदमा हस्त मामा वास्तु ग्रहे सर्वा मंगल्यायुकता स्वः 

YA SA PADMA SANASTHA VIPULA KATI TATI PADMA PATRAYAT AKSI
GAM BHIRA VARTANA BHISTANA BHARANA MITA SUBHRA VASTROTTARIYA
YA LAKSMIR DIVYA RUPA IRMANI GANA KHA CITAIH SNA PITAHEMA KUMBH AIHSA NITYAM PADMA HASTA MAMA VASATU GRHE SARVA MANGALYAYUKTA SWAHA


Translation - Laksmi who is seated on a lotus, has eyes as wideas lotus petals, massive hips, deep navel, and wears white upperand lower garments, wears jewelry, is bathed from a golden pitcher, carries a lotus in her hand, and is associated with every auspicious sign, let her residein my house.
Drop the flowers and the rice at the feet of the goddess.


।। गणेश ध्यान ।।
भावना करें कि साधक की प्रार्थना के अनुरूप श्री महा गणेशजी की शक्ति वहाँ अवतरित व  स्थापित हो रही है ।
Take flowers or unbroken grains of rice in yourhands. Meditate upon the goddess, saying:

विनायकं हेमावर्षम पशांकुशाधाराम विभुं ध्ययोर गजाननं देवं बाला चन्द्र समप्रभाम
ॐ सहस्र-शीर्षा पुरुषः, सहसराक्शः सहसरपाथ, सह भूमिम विश्वठो वृत्वा त्याथिष्ट-द्धाशान्गुलम
श्री विनायकाय नमः ध्यानात ध्यानं समर्पयामि.

 
Ganesh who is seated on a Rose and is associated with every auspicious sign, let him residein my house.
Drop the flowers and the rice at the feet of the god.

 
।। गुरु ध्यान ।। 
गुरु परमात्मा की दिव्य चेतना का अंश है, जो साधक का मार्गदर्शन करता है । सद्गुरु के रूप में पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीया माताजी का अभिवंदन करते हुए उपासना की सफलता हेतु गुरु आवाहन निम्न मंत्रोच्चारण के साथ करें ।

ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुरेव महेश्वरः । गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ अखण्डमंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम् । तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ ॐ श्रीगुरवे नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि ।

माँ अम्बा व गुरु सत्ता के आवाहन व नमन के पश्चात् देवपूजन में घनिष्ठता स्थापित करने हेतु पंचोपचार द्वारा पूजन किया जाता है । इन्हें विधिवत् संपन्न करें । जल, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप तथा नैवेद्य प्रतीक के रूप में आराध्य के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं । एक-एक करके छोटी तश्तरी में इन पाँचों को समर्पित करते चलें । 
 ये पाच वास्तुये देवी माँ के समक्ष रखे 

जल का अर्थ है - नम्रता-सहृदयता ।
अक्षत का अर्थ है - समयदान अंशदान । 
पुष्प का अर्थ है - प्रसन्नता-आंतरिक उल्लास । 
धूप-दीप का अर्थ है - सुगंध व प्रकाश का वितरण, 
पुण्य-परमार्थ तथा नैवेद्य का अर्थ है - स्वभाव व व्यवहार में मधुरता-शालीनता का समावेश ।
ये पाँचों उपचार व्यक्तित्व को सत्प्रवृत्तियों से संपन्न करने के लिए किये जाते हैं । कर्मकाण्ड के पीछे भावना महत्त्वपूर्ण है ।



।। दीपमालिका पूजन ।।
किसी पात्रमें 5, 7, 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महालक्ष्मी MahaLakshmi के समीप रखकर उस दीप-ज्योतिका “ओम दीपावल्यै नमः” इस नाम मंत्रसे गन्धादि उपचारोंद्वारा पूजन कर इस प्रकार प्रार्थना करे-

त्वं ज्योतिस्तवं रविश्चन्दरो विधुदग्निश्च तारकाः |
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः ||

Deepamaalika दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धानका लावा इत्यादि पदार्थ चढाये। धानका लावा (खील) गणेश Ganesha, महालछ्मी MahaLaxmi तथा अन्य सभी देवी देवताओं को भी अर्पित करे। अन्तमें अन्य सभी दीपकों को प्रज्वलित कर सम्पूर्ण गृह अलन्कृइत करे।


।। संकल्प ।।
दाहिने(Right) हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर निम्नांकित रूप से संकल्प करें.
ॐ  विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विन्ष्णुराज्ञ्या प्रवर्तमानश्य. हे देवी जगदम्बा मे भारत के ____________ राज्य(Name of your State) के __________ वासरे(  Name of your city) ______________ गामे(Name of your town) रहता / रहती हु, आज ___________ मासे(Name of all मासे मतलब [त्री, कुर्तिका, भाद्रपद]), के ____________ पक्षे (कृष्ण / शुक्ल) ______________ तिथि (एकं, बिज, एकादशी etc..) ____________ वार (सोमवार, सनिवार etc..) को मे ____________ नामा अहम् (Name of your) ___________ गोत्रौत्पन (Your Gotra Name eg. Kashyab, Haritatsat or Gautam), मे यह संकल्प करता / करती हु __________________________ (आप अपनी इछाये देवी के समक्ष कहो)(Tell your wishes, the purpose for which you are taking this sankalp) लेता / लेती हु. और फिर हाथ मे लिया हुआ जल और फुल महालक्ष्मी और गणेशजी के समक्ष अर्पण करो. इस तरह से आपका संकल्प पूरा हुआ. 

या फिर ये संकल्प भी कर सकते है
।। रदय संकल्प ।।
मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता महालक्ष्मी (MahaLakshmi) की कृपा प्राप्त करने के लिये आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजन कर रहा/रही हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।
यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री गणेश-लछ्मी (Shree Ganesha-Laxmi) के समीप छोड दें।

।। आगे की विधि ।।
संकल्प लेने के बाद देवी का ध्यान करे और इसके बाद एक एक करके गणेशजी (Ganesha), मां लछ्मी (Mata Laxmi), मां सरस्वती (Accounts Books/Register/Baheekhaata), मां काली (Ink Pot Poojan ), धनाधिश कुबेर Lord Kuber(Tijori/Galla), तुला मान की पूजा करें। यथाशक्ती भेंट, नैवैद्य, मुद्रा, वस्तर  आदि अर्पित करें। फिर आपको जो कोई देवी का पाठ(जेसे की लक्ष्मी कवच, लक्ष्मी चालीसा, श्री शुक्तं, श्री लक्ष्मी शुक्तं इत्यादि...) या फिर जाप रुपे कोई भी देवी का मंत्र( श्री महालछ्मयै च विदमहे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लछ्मी प्रचोदयात् ॐ) कर सकते है. हर एक पाठ या एक जाप माला समाप्त होने के बाद समष्क रखे हुए कलश मे फुक मारे और अत्तर(perfume bottel) की एक एक बुंद लक्ष्मी गणेश और कलश पर लगावे. जब आपके पाठ या जाप 11 बार पूर्ण होजाए उसके पश्चात वह पानी से भरा हुआ कलश घर मे रखे हुए पानी के मटके मे ड़ाल दो, और सभी घर के सदसिय उस पानी को पिए, अगर आपको उस जल से अपने घर को भी पवित्र और देवी से रक्षा कवच घर मे करना चाहते है तो अंत मे थोडा जल बचाकर रखे और घर के सभी कोने, दीवारों और दुवार के उमरा पर वो अभिमंत्रित किया हुआ जल छिडके.(Sprinkle the water every where in your home walls and Door's).उसके बाद कलश मे से निकला हुआ सिका और हल्दी का घटिया लेकर घर या दुकान की तिजोरी मे रखे, उसके बाद माता लक्ष्मी और गणेशजी की आरती करे और अंत मे गुंगल धुप करे और पुरे घर या दुकान के सभी सदसियो को वो धुप दे.
नोट:-ये उपासना दीपावली के पाच दिन तक आप कर सकते है अगर आपको चमत्कारी फल प्राप्त करना हो तो. 

।। जप या पाठ करते वक्त क्या ध्यानमे रखे ।।
पाठ या जाप करते समय होठ हिलते रहें, किन्तु आवाज इतनी मंद हो कि पास बैठे व्यक्ति भी सुन न सकें । पाठ या जाप की प्रक्रिया कषाय-कल्मषों-कुसंस्कारों को धोने के लिए की जाती है ।
 
अगर आप पाठ या जाप मे से कोई बी एक क्रिया कर रहे हो, तो वह आपको हर रोज 11 बार पाठ पड़ना(Reading) या जाप की 11  मालाए करनी होंगी.



।। आरती और पुष्पांजलि ।।

गणेश, लक्ष्मी और भगवान जगदीश्वर की आरती Aarati करें। उसके बाद पुष्पान्जलि अर्पित करें, शमा Kshamaa प्रार्थना करें।


।। संकल्प छोड़ने की विधि - विसर्जन ।।
संकल्प छोड़ने के लिए दाया हाथ (Right Hand) मे चावल ले. फिर गणेश एवं महालक्ष्मी प्रतिमाको छोडकर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं को अक्षत छोडते हुए निम्न मंत्रसे विसर्जित करे- 
यान्तु देवगणाः सर्वे पूजमादाया मामकीम् |
इष्टकामसमृध्दयर्थं पुनरागमनाया च ||


छोटा मंत्र:- गछ गछ या देवी/देव तू गच्यान्ति..

अपने भावना अनुसार देवी महालक्ष्मी और गणेशजी की मूर्ति के समक्ष क्षमा याचना करे की अगर मेरे से कोई भूल या कोई टूटी रहगयी हो तो मुझे नादान , नासमाज बालक मानकर क्षमा करे और मेरे परिवार पर सदेव आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे.
नोट:-अगर आपको को देवी के मूर्ति मे से प्राण को वापसी नहीं भेजना हो तो देवी की मूर्ति या छवि को लेकर मंदिर मे रखे और फिर अक्षत(Rice) को पाठ पर छोड़ दे.

।। ध्यान केसे करे ।।
मन को ध्यान में नियोजित करना होता है । साकार ध्यान में देवी माँ के अंचल की छाया में बैठने तथा उनका दुलार भरा प्यार अनवरत रूप से प्राप्त होने की भावना की जाती है । निराकार ध्यान में देवी का स्मरण करने से उनके के  स्वर्णिम किरणों को शरीर पर बरसने व शरीर में श्रद्धा-प्रज्ञा-निष्ठा रूपी अनुदान उतरने की भावना की जाती है, जप और ध्यान के समन्वय से ही चित्त एकाग्र होता है और आत्मसत्ता पर उस क्रिया का महत्त्वपूर्ण प्रभाव भी पड़ता है ।

(उपासक)
लिखित,
कलपेश दावे.

धनतेरस पर दीपदान करने से प्रसन्न होते हैं यमराज !

धनतेरस पर दीपदान करने से प्रसन्न होते हैं यमराज ! 

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज व भगवान विष्णु के अंशावतार धन्वन्तरि का पूजन किए जाने का विधान है। धनतेरस पर भगवान यमराज के निमित्त व्रत भी रखा जाता है।

पूजन विधि- इस दिन सायंकाल घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर एक पात्र में अन्न रखकर उसके ऊपर यमराज के निर्मित्त दक्षिण की ओर मुंह करके दीपदान करना चाहिए। दीपदान करते समय यह मंत्र बोलना चाहिए-
मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।।



रात्रि को घर की स्त्रियां इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं और जल, रोली, चावल, फूल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर यमराज का पूजन करती हैं। हल जूती मिट्टी को दूध में भिगोकर सेमर वृक्ष की डाली में लगाएं और उसको तीन बार अपने शरीर पर फेर कर कुंकुम का टीका लगाएं और दीप प्रज्जवलित करें।

इस प्रकार यमराज की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है तथा परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

दीपदान का महत्व :-
धर्मशास्त्रों में भी उल्लेखित है-कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।

अर्थात- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यमराज के निमित्त दीपदान करने से मृत्यु का भय समाप्त होता है।

इस दिन भगवान धन्वंतरि का षोडशउपचार पूजा विधिवत करने का भी विशेष महत्व है जिससे परिवार में सभी स्वस्थ रहते हैं तथा किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती।

धनतेरस पर कैसे छूटे वास्तुदोष से पीछा - How to come out from the Vaastu Dosh Problem on Dhanteras

धनतेरस पर कैसे छूटे वास्तुदोष से पीछा 
How to come out from the Vaastu Dosh Problem on Dhanteras 

कैसे करें धनतेरस पर भगवान श्री शनिदेव और लक्ष्मी जी की पूजा कि वास्तु दोष का निवारण हो जाए कैसे छूटे वास्तुदोष से हमारा पीछा


धनतेरस कुबेर व लक्ष्मी जी के साथ-साथ वास्तु देवता से भी संबंध रखने वाला पर्व है। यदि घर, व्यापार, प्रतिष्ठान आदि में वास्तु दोष हो तो इस दिन वास्तु पुरुष की पूजा करने से व वास्तु दोष निवारण संबंधी वस्तु घर में लगाने से वास्तु दोष का निवारण होता है। 

वास्तु दोष निवारण के लिए अपनी राशि अनुसार जो विधि मैं बता रहा हूं, अपने घर के पूजा स्थान में मां भगवती का सुंदर तस्वीर या चित्र के साथ-साथ वास्तु यंत्र अवश्य रखें। श्रद्धा भाव से  धनतेरस से लेकर दीवाली तक इन दीपकाें के साथ एक अखंड घी का दीपक भी जलाएं। और हर रोज मां लक्ष्मी की श्रद्धानुसार पंचोपचार पूजन करें और अपने राशि मंत्र के साथ इस मंत्र की तीन माला सुबह- शाम करें। 

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:।

यदि विशेष वास्तु दोष है तो वास्तु यंत्र को घर में स्थापित करने के साथ-साथ अपनी राशि की दिशानुसार जमीन में भी एक वास्तु पुरुष यंत्र दबा दें।

अपनी राशि के अनुसार ये उपाय करें।
मेष राशि:- 
1. पूर्व दिशा में आग्नेय कोण में चौमुखा तिल के तेल का एक दीपक जलाएं।
2. घर के पूजा घर में पूर्व दिशा में 108 दानें की लाल मूंगे की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
3. अपने पूजा घर में इस दिन सुमेरु श्री यंत्र को स्थापित करना लाभकारी रहेगा।
4. पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र यंत्र स्थापित करें।
पूजा का समय - शाम 7:00 बजे से लेकर 7:30 बजे के बीच में
पूजा मंत्र:- ऊँ ह्री श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:॥

वृषभ राशि:-
1. दक्षिण दिशा में तिल के तेल के सात दीपक जलाएं।
2. घर के ड्राइंग रुम में बैल की सफेद मेटल की मूर्ति रखें।
3. लक्ष्मी यंत्र लगाएं।
4. पष्चिम दिशा में वास्तु यंत्र  स्थापित करें।
5. घर के मुख्य चौखट पर घोड़े की नाल लगाएं।
6. अपने पूजा घर के दक्षिण दिशा में स्फटिक की माला लटकाएं और इसी माला से जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:00 से 8:00 तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ गोपालाय उत्तर ध्वजाय नम:॥

मिथुन राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल के ग्यारह दीपक जलाएं।
2. गायत्री मंत्र वाली इलैक्ट्रोनिक साउंड बेल लगाएं। इसे सुबह-शाम दोनों समय चलाएं।
3. गणपति यंत्र लगाएं।
4.  दक्षिण पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र व पिरामिड स्थापित करें।
5. अपने पूजा घर में हरे हकीक की 108 दानें की माला पश्चिम दिशा में लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 9:00 से 9:30 मिनट तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ क्लीं कृष्णाय नम:॥
 
र्क राशि:-
1. उत्तर दिशा में तिल या सरसों के तेल के चौमुखा चार दीपक जलाएं।
2. घर मेें मछली इक्वेरियम लगाएं।
3. कुबेर यंत्र लगाएं।
y.दक्षिण में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. घर के मुख्य चौखट के दोनों ओर चांदी का स्वास्तिक लगाएं।
6. घर के पूजा स्थान में उत्तर दिशा में 108 दानें की मोती की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:30 से 8:50 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ हिरण्य गर्भाय अव्यक्त रूपिणे नम:॥

सिंह राशि:-
1. पूर्व दिशा में तिल या सरसों के तेल के चौमुखा पांच दीपक जलाएं।
2. घर में ताम्रपत्र श्री यंत्र स्थापित करें।
3. अपने पूजा घर में पूर्व दिशा में रुद्राक्ष की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
4. दक्षिण दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5.घर के मुख्य चौखट पर घोड़े की नाल यू  (Uण) आकार में लगाएं।
पूजा का समय - रात्रि 8:00 से 9:00 मिनट तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नम:॥

कन्या राशि:-
1. दक्षिण दिशा में तिल या सरसों के तेल में छह दीपक जलाएं।
2. घर में गणपति यंत्र स्थापित करें।
3. घर में लड्डू गोपल की तस्वीर लगाएं।
4. दक्षिण पष्चिम  दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. अपने पूजा घर में हरे हकीक की 108 दानें की माला पश्चिम दिशा में लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 8:30 से 9:15 मिनट तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ नमो पीताम्बराय नम:॥
 
तुला राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल में ग्यारह चौमुखा दीपक जलाएं।
2. घर में लक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
3. घर में विंडचाइम लगाएं।
4. मंत्र वाली इलैक्ट्रोनिक साउंड बेल भी लगाएं। इसे प्रात:काल व सायंकाल दोनों समय सुविधानुसार चलाएं।
5. पश्चिम दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
6. मुख्य दरवाजे की चौखट पर 108 कौड़ियां बंदनवार लटकाएं।
7. अपने पूजा घर के पश्चिम दिशा में स्फटिक की माला लटकाएं और इसी माला से जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:15 से 8:15 तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ तत्व निरंजनाय तारक्रामाय नम:॥

वृश्चिक राशि:-
1. उत्तर दिशा में तिल या सरसों के तेल के आठ चौमुखा दीपक जलाएं।
2. घर मेें मछली इक्वेरियम लगाएं।
3. तांबे का कुबेर यंत्र लगाएं।
4. पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. 2. घर के पूजा घर में उत्तर दिशा में 108 दानें की लाल मूंगे की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - शाम 7:15 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच में
पूजा मंत्र:- ऊँ नारायण सुरसिंहाय नम:॥

धनु राशि:-
1. पूर्व दिशा में तिल या सरसों के तिल के नौ दीपक जलाएं।
2. घर में अष्ट लक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
3. अपने पूजा घर में पूर्व दिशा में 108 दानें की हल्दी माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
4. उत्तर -पष्चिम दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
पूजा का समय - रात्रि 8:15 से 9:15 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ श्री कृष्णाय उर्घ्यषंताय नम:॥


मकर राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल के सात दीपक जलाएं।
2. घर के ड्राइंग रुम में मां सरस्वती वीणा धारण किए हुए तस्वीर रखें।
3. अपने पूजा घर में पारद लक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
4. उत्तर दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. अपने पूजा घर में पश्चिम दिशा 108 दानें की काले हकीक की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:50 से 8:30 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ वत्सलाय नम:॥


कुंभ राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल के ग्यारह दीपक जलाएं।
2. घर के अंदर मंत्र वाली इलैक्ट्रोनिक साउंड बेल लगाएं और इसे प्रात:काल व सायंकाल दोनों समय चलाएं सुविधानुसार।
3. गणपति यंत्र के साथ-साथ पारद कुबेर यंत्र लगाएं।
4. उत्तर दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. घर में मां शेरावाली की सुंदर तस्वीर लगाएं।
6. अपने पूजा घर में पश्चिम दिशा में 108 दानें की वैयजंती माला लटकाएं और उसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:00 से 8:30 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ उपेन्द्राय अच्युताय नम:॥

मीन राशि:-
1. उत्तर दिशा में तिल या सरसों के तेल के बारह दीपक जलाएं।
2. घर मेें मछली इक्वेरियम लगाएं।
3. अपने पूजा घर में संपूर्ण लक्ष्मी यंत्र और आम की लकड़ी का स्वास्तिक स्थापित करें।
4.  उत्तर पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें। 

5. घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ गणपति की सुंदर तस्वीर लगाएं।
6. अपने पूजा घर में उत्तर दिशा में 108 दानें की कमल गट्टे की माला लटकाएं और उसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 8:15 से 9:15 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ क्लीं उध्दृताय उद्धारिणे नम:॥

Monday, February 20, 2012

Shiva Invocation - शिव को जागृत करने का मंत्र


Shiva Invocation

 


Translation:

Great God, Reliever of Suffering, Great Mover of Energy in the Body (Yogi), Supreme One I hold in my heart (Ishvara), Remover of Difficulty, You who carries the vibrations of "M" (that which is the dissolving letter in A-U-M), I bow to you.

I bow to Shiva, to Peace, to the manifestation of existence, and offer my soul in entirety, Oh, Ultimate Reality!

You are Mother and Father; you alone are friend and relation. You are wisdom and prosperity, Oh, God of Gods, you are Everything!

Listen to the mantra:

This mantra is used during our Kali Puja to invoke and honor Shiva as Lord of the Dance, Maha Deva, the Great God and Lord of the Universe, He who is Shaper of Consciousness. This mantra invites engagement with Shiva as pure energy connected to our Soul, and as the energy that is recognized in many forms in the matter of Creation.

We utilize this mantra to excite our devotion and make a concrete connection to the magnificence of God beyond our attachments.

Use this mantra in your daily practice to open your heart and honor your commitment to the Divine, to the Unpathologized Sacred Male in all His forms.