Monday, October 24, 2011

धनतेरस पर कैसे छूटे वास्तुदोष से पीछा - How to come out from the Vaastu Dosh Problem on Dhanteras

धनतेरस पर कैसे छूटे वास्तुदोष से पीछा 
How to come out from the Vaastu Dosh Problem on Dhanteras 

कैसे करें धनतेरस पर भगवान श्री शनिदेव और लक्ष्मी जी की पूजा कि वास्तु दोष का निवारण हो जाए कैसे छूटे वास्तुदोष से हमारा पीछा


धनतेरस कुबेर व लक्ष्मी जी के साथ-साथ वास्तु देवता से भी संबंध रखने वाला पर्व है। यदि घर, व्यापार, प्रतिष्ठान आदि में वास्तु दोष हो तो इस दिन वास्तु पुरुष की पूजा करने से व वास्तु दोष निवारण संबंधी वस्तु घर में लगाने से वास्तु दोष का निवारण होता है। 

वास्तु दोष निवारण के लिए अपनी राशि अनुसार जो विधि मैं बता रहा हूं, अपने घर के पूजा स्थान में मां भगवती का सुंदर तस्वीर या चित्र के साथ-साथ वास्तु यंत्र अवश्य रखें। श्रद्धा भाव से  धनतेरस से लेकर दीवाली तक इन दीपकाें के साथ एक अखंड घी का दीपक भी जलाएं। और हर रोज मां लक्ष्मी की श्रद्धानुसार पंचोपचार पूजन करें और अपने राशि मंत्र के साथ इस मंत्र की तीन माला सुबह- शाम करें। 

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:।

यदि विशेष वास्तु दोष है तो वास्तु यंत्र को घर में स्थापित करने के साथ-साथ अपनी राशि की दिशानुसार जमीन में भी एक वास्तु पुरुष यंत्र दबा दें।

अपनी राशि के अनुसार ये उपाय करें।
मेष राशि:- 
1. पूर्व दिशा में आग्नेय कोण में चौमुखा तिल के तेल का एक दीपक जलाएं।
2. घर के पूजा घर में पूर्व दिशा में 108 दानें की लाल मूंगे की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
3. अपने पूजा घर में इस दिन सुमेरु श्री यंत्र को स्थापित करना लाभकारी रहेगा।
4. पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र यंत्र स्थापित करें।
पूजा का समय - शाम 7:00 बजे से लेकर 7:30 बजे के बीच में
पूजा मंत्र:- ऊँ ह्री श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:॥

वृषभ राशि:-
1. दक्षिण दिशा में तिल के तेल के सात दीपक जलाएं।
2. घर के ड्राइंग रुम में बैल की सफेद मेटल की मूर्ति रखें।
3. लक्ष्मी यंत्र लगाएं।
4. पष्चिम दिशा में वास्तु यंत्र  स्थापित करें।
5. घर के मुख्य चौखट पर घोड़े की नाल लगाएं।
6. अपने पूजा घर के दक्षिण दिशा में स्फटिक की माला लटकाएं और इसी माला से जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:00 से 8:00 तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ गोपालाय उत्तर ध्वजाय नम:॥

मिथुन राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल के ग्यारह दीपक जलाएं।
2. गायत्री मंत्र वाली इलैक्ट्रोनिक साउंड बेल लगाएं। इसे सुबह-शाम दोनों समय चलाएं।
3. गणपति यंत्र लगाएं।
4.  दक्षिण पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र व पिरामिड स्थापित करें।
5. अपने पूजा घर में हरे हकीक की 108 दानें की माला पश्चिम दिशा में लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 9:00 से 9:30 मिनट तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ क्लीं कृष्णाय नम:॥
 
र्क राशि:-
1. उत्तर दिशा में तिल या सरसों के तेल के चौमुखा चार दीपक जलाएं।
2. घर मेें मछली इक्वेरियम लगाएं।
3. कुबेर यंत्र लगाएं।
y.दक्षिण में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. घर के मुख्य चौखट के दोनों ओर चांदी का स्वास्तिक लगाएं।
6. घर के पूजा स्थान में उत्तर दिशा में 108 दानें की मोती की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:30 से 8:50 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ हिरण्य गर्भाय अव्यक्त रूपिणे नम:॥

सिंह राशि:-
1. पूर्व दिशा में तिल या सरसों के तेल के चौमुखा पांच दीपक जलाएं।
2. घर में ताम्रपत्र श्री यंत्र स्थापित करें।
3. अपने पूजा घर में पूर्व दिशा में रुद्राक्ष की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
4. दक्षिण दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5.घर के मुख्य चौखट पर घोड़े की नाल यू  (Uण) आकार में लगाएं।
पूजा का समय - रात्रि 8:00 से 9:00 मिनट तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नम:॥

कन्या राशि:-
1. दक्षिण दिशा में तिल या सरसों के तेल में छह दीपक जलाएं।
2. घर में गणपति यंत्र स्थापित करें।
3. घर में लड्डू गोपल की तस्वीर लगाएं।
4. दक्षिण पष्चिम  दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. अपने पूजा घर में हरे हकीक की 108 दानें की माला पश्चिम दिशा में लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 8:30 से 9:15 मिनट तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ नमो पीताम्बराय नम:॥
 
तुला राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल में ग्यारह चौमुखा दीपक जलाएं।
2. घर में लक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
3. घर में विंडचाइम लगाएं।
4. मंत्र वाली इलैक्ट्रोनिक साउंड बेल भी लगाएं। इसे प्रात:काल व सायंकाल दोनों समय सुविधानुसार चलाएं।
5. पश्चिम दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
6. मुख्य दरवाजे की चौखट पर 108 कौड़ियां बंदनवार लटकाएं।
7. अपने पूजा घर के पश्चिम दिशा में स्फटिक की माला लटकाएं और इसी माला से जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:15 से 8:15 तक।
पूजा मंत्र:- ऊँ तत्व निरंजनाय तारक्रामाय नम:॥

वृश्चिक राशि:-
1. उत्तर दिशा में तिल या सरसों के तेल के आठ चौमुखा दीपक जलाएं।
2. घर मेें मछली इक्वेरियम लगाएं।
3. तांबे का कुबेर यंत्र लगाएं।
4. पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. 2. घर के पूजा घर में उत्तर दिशा में 108 दानें की लाल मूंगे की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - शाम 7:15 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच में
पूजा मंत्र:- ऊँ नारायण सुरसिंहाय नम:॥

धनु राशि:-
1. पूर्व दिशा में तिल या सरसों के तिल के नौ दीपक जलाएं।
2. घर में अष्ट लक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
3. अपने पूजा घर में पूर्व दिशा में 108 दानें की हल्दी माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
4. उत्तर -पष्चिम दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
पूजा का समय - रात्रि 8:15 से 9:15 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ श्री कृष्णाय उर्घ्यषंताय नम:॥


मकर राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल के सात दीपक जलाएं।
2. घर के ड्राइंग रुम में मां सरस्वती वीणा धारण किए हुए तस्वीर रखें।
3. अपने पूजा घर में पारद लक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
4. उत्तर दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. अपने पूजा घर में पश्चिम दिशा 108 दानें की काले हकीक की माला लटकाएं और इसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:50 से 8:30 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ वत्सलाय नम:॥


कुंभ राशि:-
1. पश्चिम दिशा में तिल या सरसों के तेल के ग्यारह दीपक जलाएं।
2. घर के अंदर मंत्र वाली इलैक्ट्रोनिक साउंड बेल लगाएं और इसे प्रात:काल व सायंकाल दोनों समय चलाएं सुविधानुसार।
3. गणपति यंत्र के साथ-साथ पारद कुबेर यंत्र लगाएं।
4. उत्तर दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें।
5. घर में मां शेरावाली की सुंदर तस्वीर लगाएं।
6. अपने पूजा घर में पश्चिम दिशा में 108 दानें की वैयजंती माला लटकाएं और उसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 7:00 से 8:30 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ उपेन्द्राय अच्युताय नम:॥

मीन राशि:-
1. उत्तर दिशा में तिल या सरसों के तेल के बारह दीपक जलाएं।
2. घर मेें मछली इक्वेरियम लगाएं।
3. अपने पूजा घर में संपूर्ण लक्ष्मी यंत्र और आम की लकड़ी का स्वास्तिक स्थापित करें।
4.  उत्तर पूर्व दिशा में वास्तु यंत्र स्थापित करें। 

5. घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ गणपति की सुंदर तस्वीर लगाएं।
6. अपने पूजा घर में उत्तर दिशा में 108 दानें की कमल गट्टे की माला लटकाएं और उसी पर जाप करें।
पूजा का समय - रात्रि 8:15 से 9:15 तक
पूजा मंत्र:- ऊँ क्लीं उध्दृताय उद्धारिणे नम:॥

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